वो लड़की
रोज़ 5 बजे आती, घाँस पर दौड़ती भागती, झूलों पर करतब करती, फिसल-पट्टी पर उल्टा चढ़ती। 10 साल की थी, पर बड़े बड़े बच्चों के दलों की कप्तान बनती - मुझे उससे लगाव सा हो गया था।
सुना है उसकी शादी हो गईं!
मैं अचंभित हूँ, पर मैं कर भी क्या सकता हूँ - एक पुराना पार्क जो ठहरा…