मेरी बेटी

आज उसका बर्थडे है, पर शायद उसे पता भी नहीं है - वो तो हर दिन की तरह हँसते-मुस्कुराते पूरे घर के चक्कर काटने में व्यस्त है।

एक मन चाहता है कि वो जल्दी से बड़ी हो जाए, पढ़े-लिखे, बातें करें, वहीं दूसरा मन चाहता है कि समय रुक जाए - वो यूँ ही खेलती रहे, मैं भी उसके बहाने अपना बचपन फिर से जीता रहूँ