गौरैया

यूँ तो उसका सही नाम गौरैया था, पर उसे मैं चिड़िया ही कहता - कभी घर में आ जाती, कभी स्कूल की खिड़की पर दिखती, पकड़ने की कोशिश करता तो उड़ जाती - यूँ ही हमारी लुका-छुपी चलती रहती।

इस कॉन्क्रीट के जंगल में उसे रह-रह खोजता हूँ - पर मेरी बचपन की यादों की तरह वो भी ना जाने कहाँ खोती जाती है