कू

गिरोह का सरगना था - सभी लोग उसे कू बुलाते। दिन में एक बड़े से ऑफिस में काम करता, पर शाम को भोले-भाले लोगों को ढूंढ़कर उन्हें चने के झाड़ पे चढ़ाता, और फिर उनसे महंगे रेस्टोरेंट में ट्रीट लेता..

अनुभवी था - लोगों के ईगो से इस प्रकार खेलता था कि आजकल लोग खुद आते हैं लुटने के लिए!