होली
बचपन में होली के दिन सुबह सात बजे ही बाहर निकल जाता - पिचकारी, गुब्बारे, रंग सब साथ में होते। सारे शहर में भटकता, दोस्तों के संग ढेरों गुजिया खाता..
आज दोस्तों को व्हाट्सएप्प पर होली की शुभकामनायें भेज कर खोया हुआ बैठा है - अवसरों की तलाश में दोस्तों और देश से बहुत दूर आ चुका है - यहाँ कोई होली नहीं खेलता!