ट्रैफिक पुलिस
पेट भरने की मज़बूरी ही थी कि उस लेख़क को ट्रैफिक पुलिस में भर्ती होना पड़ा।
चौराहे पर जब खड़ा हुआ तो सैकड़ों-हज़ारों लोगों की भीड़ नज़र आयी - थोड़ा घबराया, पर जब लेख़क की नज़रों से देखा, उसे सैकड़ों-हज़ारों कहानियाँ नज़र आयी।
आज से वो इस चलते-फिरते साहित्य का पाठक भी था!